नाम देने से कौन से रिश्ते सँवर जाते हैं,जहाँ रूह न बँधे दिल बिखर जाते हैं।
अकेला छोड़ दो मुझे या फिर मेरे हो जाओ,मुझे अच्छा नहीं लगता कभी पाना कभी खोना।
कुछ शिकवे ऐसे थे साहिब,जो खुद ही कहे और खुद ही सुने।
कोई सुलह करा दे ज़िन्दगी की उल्झनों से,बड़ी तलब लगी है आज मुसकुराने की।
सिखा दिया दुनिया ने मुझे अपनो पर भी शक करनामेरी फितरत में तो गैरों पर भी भरोसा करना था.!
जो इस दुनियाँ में नहीं मिलते , वो फिर किस दुनियाँ में मिलेंगे जनाब.. बस यही सोचकर रब ने एक दुनियाँ बनायी , जिसे कहते हैं ख्वाब।
उम्र कैद की तरह होते हे कुछ रिश्ते, जहा जमानत देकर भी रिहाई मुमकिन नही।
एहसान किसी का वो रखते नहीं मेरा भी चुका दिया,जितना खाया था नमक मेरा, मेरे जख्मों पर लगा दिया।
ख़्वाब रूठे हैं मगर हौसले अभी ज़िंदा हैं,हम वो शक्स है जिससे मुश्किलें भी शर्मिंदा हैं।
टूटे हुए दिल भी धड़कते है उम्र भर,चाहे किसी की याद में या फिर किसी फ़रियाद में।